#श्रृंगार
आँख की काजल पे बहती अश्रुओं की धार
चार चूड़ी हथकड़ी सी कर रही झनकार
पाँव जो कि आगे बढ़,उस पर जाने को अधीर थे
बेड़ियां बन गयी पायल,रह गए इस पार
नारी तेरी दुर्दशा की तू ही जिम्मेदार
अजब ये श्रृंगार तेरा,गजब ये श्रृंगार…
प्रशंसा यायावर (पीयू)